अक्सर कुछ सवाल हमें बहुत परेशान करते हैं । जैसे कहाँ हो ? किसके साथ हो ? अभी क्या कर रहे हो ? और फोन इतनीं देर से बिजी था किससे बात कर रहे थे या कर रही थी? ये सवाल पूछने वाला कोई भी हो सकता है । माँ पिताजी बड़े भाई भाभी बहन पत्नी पति प्रेमिका या प्रेमी कोइ भी । माँ पिता जी भाई बहन तक तो ठीक है थोडा डर होता है। जवाब दे ही देते हैं । यही सवाल दोस्त पूछे तो ख़ुशी होती है। किन्तु यदि यही सवाल प्रेमिका या पत्नी पूछ ले ,प्रेमी या पति पूछ ले तो हम जवाब देने के बजाय उल्टा उन्ही पर सवाल दाग देते हैं। क्या शक कर रहे हो /रही हो ,भरोसा नही है क्या मुझपे ? कुछ पोसिटिव पे सोच लिया करो । जैसे सवाल पूछने वाले ने कोइ बम फोड़ दिया हो । उन्हें positive सोचने की सलाह तो देते हैं पर क्या हम positive नही सोच सकते क्या ? हम क्यूँ नही सोचते कि शायद हमसे इतने सवाल इसलिए किये जा रहे हैं क्योकि वह अपने को खोने से डरता है ।उसे डर है की कही कोई तुम्हे उससे दूर तो न ले जाये। तुम्हे खोकर वह खुश नहीं रह सकता क्योकि वह इंसान तुम्हे बहुत प्यार करता है। और इसीलिए हमारे हर पल की खबर रखना चाहता है । इसमे बुराई क्या है जो हमे प्यार करता है उसे हक़ है हमारे हर पल की खबर रखने का। हमारी जिन्दगी अच्छे से चलती रहे इसके लिए हम सुबह से शाम तक क्या क्या नही करते फिर इन चन्द सवालों का जवाब देना हमें परेसान क्यों करता है । अगर हम सही हैं तो इन सवालों का जवाब देने से डरना क्यूँ । माना की रिश्तों मे भरोसा होना बहुत जरुरी है किन्तु यदि चन्द सवालों के जवाब से किसी को रहत मिलती है तो जवाब देने में बुराई क्या ? भले ही इसे अपनी जिन्दगी के नित्यकार्य में शामिल करना पड़े ।।

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