मानव जाति के
इतिहास में विभिन्न प्रकार की विभिन्नता की कहानी जुड़ी हुयी है, इस इतिहास में हमने बहुत प्रकार के वर्ग
निर्मित किए, जैसे गरीब का,
अमीर का, धन के पद के अभाव पर और आश्चर्य की बात यह है कि इस समाज ने
जो स्त्री और पुरुष के बीच जो वर्ग का निर्माण किया यह एक अनोखा और अद्भुत रहा और
इस भिन्नता को वर्ग बनाना मनुष्य की सैतानी कही जा सकती है।
उस नजारें को देखकर हमारा रुह कांप गया,
शादी का माहौल था सभी मौज-मस्ती में लगे थे सब
कोई बरात जाने की तैयारी में लगा था, मैं भी वहां मैजूद था, अब आप पूछना मत
मैं खूद ही बता दे रहा हूॅ की मैं वहांं एक फोटोग्राफर के हैशियत से ये सारे नजारें
अपने कैमरे मे कैद कर रहा था। तभी देखा की एक ट्राली पर डीजे अपने पूरे समाग्रियों
के साथ लदा-लदाये वहां आ पहुचां और वो अपने डीजे की संगीत से लोगों का मन बहलाने की
तैयारी मे लग गये। मै दूल्हे के एक से एक खूबसूरत तस्वीर निकालने मे लगा था तभी
मेरा ध्यान डीजे की तरफ गया तो देखा की तीन लड़कियां गानें की धुन पर थिरक रही है
और साथ में कुछ लड़के भी। कुछ ही देर बाद उन तीने में से एक लड़की मुर्छित हो गयी शायद उसके पीठ मे जोर से दर्द शुरु हो गया। मुझसे देखा न गया और मैं वहां पहुचां और
मालिक से कहा कि इसको पास में ही एक डॉक्टर है दिखा दे वो बोला की बरात की
तैयारी करें की इस हरामजादी को डॉक्टर के पास ले जाएं पता नही क्या खा पी ली है मेरा
तो ये नाक ही कटवा दी। मै उसकी इस व्याख्या को सुन के दंग रह गया और डीजे का मालिक
उस लड़की को वहीं छोड़ कर बरात के साथ चल दिया। मेरा तो मन किया की उस मालिक का वहीं
हला भला कर दे पर क्या करता मै भी अपना काम नही छोड़ सकता और ना ही उस लड़की को
अस्पताल ले जा सकता हालांकि मै आस-पास के लोगों से यह कहा भी था कि जिसको बरात नही
जानी है वह अस्पताल ले जाके इसका इलाज करवा देना, मै बरात के साथ निकल लिया पर मुझे उस लड़की की चिंता खाए जा
रही थी की पड़ोसियों ने उसका इलाज करवाया होगा की नहीं। बची दो लड़कियां जो पूरे रात
लगभग तीन बजे तक बरातीयों के सामने नाचती रही उनको देख कर ऐसा लग रहा था कि मानो वो यह कह रही थी कि कमीनों रात के तीन बज चुके है अब तो हमको नचाना बन्द करों। सच में उन दोनो लड़कियों का
पूरी रात सारे बरातियों ने मिल कर शोषण किया।
देखा जाए तो
इनमें उन बरातियों की कोई गलती नही थी क्योंकि हजारों वर्ष पहले से ही स्त्री का
शोषण का इतिहाश रहा है। क्योकि पुरुष ने ही सारे कानून निर्मित किये है और सुरु से
ही पूरुष शक्तिशाली था उसने स्त्री पर जो भी थोपना चाहा थोप दिया । और जब तक
स्त्री पर से गुलामी नही उठती दुनिया से गुलामी नही मिट सकती चाहे कहने की बात
क्यो न हो की भारत 68 साल पहले ही आजाद हो गया। ये अलग बात है कि हमारी सरकार
गरीबी और अमीरी के फासले मिटाने मे सक्षम हो जाए लेकिन स्त्री और पुरुष के बीच
शोषण का जाल और इनके बीच फासलो की कहानी इतनी लम्बी हो गयी है कि स्वयं स्त्री और
पुरुष दोनो ही भूल गये है। पुरुष
और स्त्री के बीच फासले और असमानता किस-किस रुप मेंं खड़ी हुई है? भिन्नता सुनीश्चित है भिन्न होनी ही चाहिए
क्योंकि यही ही स्त्री,पुरुष को अलग-अलग
व्यक्तित्व देते है लेकिन भिन्नता असमानता में बदल गया है। इसीलिए सारी स्त्रीयाँ
भिन्नता को तोड़ने में लग गयी है ताकी वे ठीक पुरुषों जैसी दिखने लगे सायद वह इस
सोच में हैकि इस भाती असमानता भी टूट जाएगी धीरे-धीरे कपड़े एक जैसे होते चले
गये। लेकिन कपड़ो के फासले से भिन्नता नही मिट जाएगीं यह एक गहरी बाॅयोलाॅजीकल जेनेटिक
है कपड़ो से कुछ फर्क नही पड़ने वाला
नही है क्योंकि भेद मिटाने से समाज द्वारा निर्माण किया गया स्त्री और पुरुष का
वर्ग नही मिट सकता क्योकि पुरुष इस का आदि हो गया है। अगर बदलना है तो अपनी सोच को
बदलो इन लड़कीयों को नचाना बन्द करों खुद नाचों और देखों की कितना स्टेमिना है क्या
पुरुष भी शाम को चार बजे से रात के तीन बजे तक नाच सकता है?
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