इस बारिश का तो सबके इन्तजार के साथ-साथ हमको भी था पर हमे ये थोडी ही मालुुम था कि सामान्य से थोड़े से अधिक या से समझिये ही सामान्य बारिश ही हमारे इस गली को नारकीय हालत पैदा कर देगी। जी मेरे कमरे का दरवाजा गली मे खुलता है और दरवाजे के ठीक सटे एक निस्क्रीय नाली बहती है जो कि थोड़ी सी बारिश होते ही नाली का पानी मेरे कमरे में घुसना शुरू हो जाता है और मेरे दरवाजे पर नरकीय हालत पैदा हो जाती है मैने इस मैने इसकी जानकारी अपने पार्षद जी को दी थी तो उन्होने तमाम बड़े नेताओं जैसे सान्तवना दे कर कहा की कल ही इसकी सफाई करवा देता हुं। उनके कल कल के इन्तजार में इधर कई दिन बीत गया और वो आए नही । तो मैने ही उस नली की सफई कर ड़ाली और नाली का सारा कचडा निकाल दिया । नाली हो गयी टनाटन दो दीन तक तो बारिश नही हुआ आज कई दिन बाद जब बारिश हुआ तो फिर वो निकाला हुआ मिट्टी नाली मे बह कर फिर से वही दुर दसा। आम तौर पर करीब करीब हर शहर के स्थानीय निकायों की ओर से बारिश के पहले तमाम तरह के दावे किए जाते हैं कि इस बार किसी तरह का जलभराव नही होने दिया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बारिश आम लोगों के लिए मुसीबत का सबब बने, लेकिन ऐसे यसरे दावे खोखले और मुंह चिझाने वाले साबित होते है कोई भी जिम्मेदारी नही लेना चाह रहा है इससे सब बचना चाहते है या फिर पिडली सरकार के सिर ठीकरा फोडा जा रहा है। जैये यहां यह नही हो रहा है वहां हा वह नही हो रहा है तरह तरह के बहाने पेश किए जा रहे है ये हमारे ही गली की बात नही है मै इलाहाबाद के साथ साथ पूरे देश की गलियों का हाल यही है शहरों के चरमराते ढांचे को सुधारे बगैर देश को आगें कैसे ले जाया जा साकता है
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