मैं उस दिन बाज़ार से लौट रहा था | सामने से एक 8 -10 बर्ष का लड़का
एक हाथ का ठेला खींचता हुआ चला आ रहा था.
ढलान होने के कारण ठेले की गति कुछ अधिक थी,
अतः काफी बचाने पर भी वह एक सज्जन की साइकिल से थोडा
सा टकरा गया.
उन सज्जन ने उस लड़के को 2 थप्पड़ रसीद किये और चलते बने.
राह चलते लोगों में से भी, किसी ने उसे बचाने कोशिश नहीं की.......
थोड़ी दूर पर एक ताँगा एक कुत्ते के पैर को कुचलता हुआ निकल गया,
कुत्ता जोर से चीखने लगा,
आसपास से 2 कुत्ते आकर उसके पास जमा हो गये और उसका पैर चाटने लगे।
"देख कर आश्चर्य हुआ कि इंसान की इंसानियत जानवरों में जा रही है चलो सही ही है कही तो इंसानियत जिंदा है..."

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