मतलबी हो तुम
मतलबी हो तुम

मतलबी हो तुम जब ज़रुरत पड़ती है तुम्हें तब याद आता हूँ मैं कभी बेवजह याद किया तुमने नहीं... हर वक़्त एक वजह होती है एक दर्द,एक ज़ख्म,एक...

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व्‍यक्ति अपने व्‍यक्तित्‍व पर नाज करता था और अपने आप को सफल मानता था।
व्‍यक्ति अपने व्‍यक्तित्‍व पर नाज करता था और अपने आप को सफल मानता था।

जब मै अपने बचपन की दुनिया की तुलना आज की दुनिया से करता हूँ, तब सबसे पहले इस बात की ओर घ्‍यान जाता है कि, उस दुनिया में किसी व्‍यक्ति ...

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किस्सा रफ काॅपी का
किस्सा रफ काॅपी का

हर सब्जेक्ट की काॅपी अलग अलग बनती थी, परंतु एक काॅपी एसी थी जो हर सब्जेक्ट को सम्भालती थी। उसे हम रफ काॅपी कहते थे।  यूं तो रफ काॅप...

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व्‍यक्तिगत विचार  (ढोंगी जाऐ ढोंगी के पास)
व्‍यक्तिगत विचार (ढोंगी जाऐ ढोंगी के पास)

समझ नही आता कि इस 21वीं सदी में निर्मल बाबा,स्‍वामी ओम, मन्नत बाबा जैसे लोगो का भी टीवी चैनल में प्रसारण होता वो न्यूज चैनल में। आखिर इतन...

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अब जब कुछ ठीक है.!! यही दुनिया की रीत है.
अब जब कुछ ठीक है.!! यही दुनिया की रीत है.

मैं शांति से बैठा अख़बार पढ़ रहा था, तभी कुछ मच्छरों ने आकर मेरा खून चूसना शुरू कर दिया। स्वाभाविक प्रतिक्रिया में मेरा हाथ उठा और अख़बार स...

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सफलता के सामने बौना होता आदमी
सफलता के सामने बौना होता आदमी

          जब मै अपने बचपन की दुनिया की तुलना आज की दुनिया से करता हू तब सबसे पहले इस बात की ओर घ्‍यान जाता है कि उस दुनिया में किसी व्‍यक...

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 कुम्हारी कला विलुप्त होने के कगार पर
कुम्हारी कला विलुप्त होने के कगार पर

अब न मिट्टी के खिलौनों की मांग है ना भोज एवं दावतों में मिट्टी के कुल्हड़ का प्रचलन। दीपावली पर मिट्टी के दीये बस नाम मात्र को जलते है। ...

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